Sonipat News: सीमा पार से आने वाले दुश्मनों की पहचान करेगा ड्रोन

सोनीपत

सोनीपत। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (डीसीआरयूएसटी), मुरथल के इंक्यूबेशन सेंटर के विद्यार्थियों ने एक ऐसा ड्रोन तैयार किया है जो बैटरी खत्म होने के बाद भी जीपीएस के माध्यम से अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएगा। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भविष्य में सीमाओं के लिए सुरक्षा उपकरण बनाने पर कार्य शुरू कर दिया है, ताकि दुश्मन को सीमा पार करते समय पहचान कर कार्रवाई की जा सके।

इंक्यूबेशन सेंटर में थिंक बोट सोसाइटी के विद्यार्थी वंश बत्रा के नेतृत्व में यह ड्रोन बनाया गया है। वंश ने ये ड्रोन इंस्टीट्यूट इनोवेशन काउंसिल की अध्यक्ष प्रो. सुमन सांगवान व समन्वयक डॉ. विकास नेहरा के मार्गदर्शन में तैयार किया है। ड्रोन बनाने के लिए विद्यार्थियों ने प्रथम चरण में माइक्रो कंट्रोलर का उपयोग किया है। उसमें आई कमियों को दूर कर फ्लाइट कंट्रोलर लगाकर ड्रोन तैयार किया गया है। ड्रोन को लेकर कोडिंग वंश ने स्वयं की है। वंश ने बताया कि ड्रोन की विशेषता यह है कि ये 10 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलने वाली हवा में भी स्थिर रह सकता है। जीपीएस के माध्यम से ड्रोन अपने गंतव्य स्थान तक जाकर वापस आ सकता है। वर्तमान समय में ड्रोन 10 मिनट तक 500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है और एक किलोमीटर दूर तक जा सकता है।

एक घंटे तक निरंतर उड़ाने की योजना

वंश बत्रा ने बताया कि भविष्य में ड्रोन की बैटरी में बदलाव करके एक घंटे तक निरंतर उड़ाने की योजना है। साथ ही इसकी रेंज 5 किलोमीटर तक बढ़ाना है। खास बात यह है कि अगर गंतव्य स्थान तक जाने के मार्ग में कोई अवरोध आएगा तो ड्रोन स्वयं अपनी दिशा बदल कर गंतव्य स्थान तक पहुंच जाएगा।

सीमा पर सुरक्षा के लिए करेंगे तैयार

वंश ने बताया कि ड्रोन में कुछ बदलाव कर अन्य जगह भी इसका इस्तेमाल करने की योजना है। जिसके तहत भविष्य में सीमाओं पर सुरक्षा के तहत इसका प्रयोग किया जा सके। वंश ने बताया कि अगर हम यह उपकरण बनाने में कामयाब रहे तो देश की सुरक्षा में अपना अहम योगदान दे सकेंगे।

आइडिया लेकर आएं और उस पर कार्य करें

कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने विद्यार्थियों को बधाई दी और कहा कि स्वदेशी तकनीक से हम भारत को आर्थिक तौर पर समृद्ध बना सकते हैं। विश्व में वहीं देश अग्रणी श्रेणी में शामिल हैं जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे हैं। विद्यार्थी अपने आइडिया लेकर आएं व उस पर कार्य करें। विश्वविद्यालय की तरफ से हरसंभव मदद देने के प्रयास किए जाएंगे। इंक्यूबेशन सेंटर के साथ जल्द ही मीटिंग की जाएगी, जिसमें पूर्व में हुए कार्य व भविष्य में क्या करने की योजना है, पर मंथन किया जाएगा।

विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य उद्यमिता, नवाचार व अनुसंधान पर केंद्रित रहेगा। विवि का कार्य होता है ज्ञान पैदा करना। हमारे विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। हमें उनको प्रोत्साहित करना होगा, ताकि वे राष्ट्र व समाज के विकास में अपना अहम योगदान दे सकें। -प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, कुलपति, डीसीआरयूएसटी, मुरथल।


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