ट्रैक्टर परेड के दौरान बवाल होने के बाद टूटते आंदोलन को जिन किसान पंचायतों से नई ताकत मिली थी अब उन किसान महापंचायतों को लेकर ही हरियाणा, यूपी व पंजाब के नेताओं में खींचतान शुरू हो गई है। जिस हरियाणा में सबसे ज्यादा महापंचायत हो रही है, वहां गुरनाम सिंह चढूनी समेत प्रदेश के अन्य किसान नेताओं की जगह यूपी के राकेश टिकैत को तवज्जो मिल रही है और इस तरह से राकेश टिकैत की पकड़ मजबूत होती जा रही है।
राकेश टिकैत की यह मजबूती ही हरियाणा व पंजाब के किसान नेताओं को अखरने लगी है और पंजाब के बाद हरियाणा में महापंचायत नहीं करने की अपील करने का एक बड़ा यह कारण यह भी माना जा रहा है। वहीं राकेश टिकैत अब रुकने को तैयार नहीं है और वह लगातार महापंचायत रखवा रहे हैं।
किसानों का आंदोलन ट्रैक्टर परेड के दौरान बवाल होने के बाद टूटने लगा तो भाकियू (रजि) के प्रवक्ता राकेश टिकैत के आंसुओं ने आंदोलन के लिए संजीवनी का काम किया। जिसके बाद यूपी व हरियाणा के किसानों ने दोबारा से हुंकार भरते हुए आंदोलन को खड़ा कर दिया। उसके बाद ही महापंचायत शुरू की गई और सबसे पहली पंचायत यूपी के मुजफ्फरनगर में बुलाई गई। जिसके बाद से हरियाणा, पंजाब, यूपी व राजस्थान के अंदर महापंचायत हो रही है।
हरियाणा में अन्य प्रदेशों के मुकाबले महापंचायत काफी ज्यादा हो रही है और इन महापंचायतों में राकेश टिकैत को सबसे बड़ा नेता मानते हुए सबसे ज्यादा तवज्जो मिल रही है। जिससे इन महापंचायतों के सहारे टिकैत की पकड़ भी मजबूत होती जा रही है। नतीजतन हरियाणा व पंजाब के नेता महापंचायत नहीं करना चाहते है तो राकेश टिकैत अब महापंचायतों को रुकने नहीं देना चाहते हैं।
पंजाब व हरियाणा के किसान नेताओं की अपील के बाद भी महापंचायत
पंजाब के किसानों ने तीन दिन पहले अपील करते हुए कहा था कि पंजाब में महापंचायतों की जरूरत नहीं है और अब पंजाब के नेता महापंचायत नहीं करेंगे। उसके बावजूद शनिवार को चंडीगढ़ में महापंचायत की गई है। इस तरह ही गुरनाम सिंह चढूनी ने शुक्रवार को हरियाणा में महापंचायतों की जरूरत नहीं होने की बात कही थी और महापंचायत नहीं करने की अपील की गई थी। उसके बावजूद खरखौदा में 22 फरवरी को महापंचायत रखी गई है।
हरियाणा में महापंचायतों की जरूरत नहीं है, बल्कि इनकी जगह ज्यादा से ज्यादा किसानों को बॉर्डर पर पहुंचना चाहिए। इन महापंचायतों को केवल एक संदेश देने के लिए शुरू किया गया था कि सरकार तानाशाही कर रही है और किसानों की समस्या का हल नहीं कर रही है। यह संदेश दिया जा चुका है और अब बॉर्डर से आंदोलन को चलाया जाए व हरियाणा से बाहर पंचायत की जाए।
गुरनाम सिंह चढूनी, अध्यक्ष, भाकियू हरियाणा
महापंचायत कोई किसान नेता नहीं करा रहा है, बल्कि किसान खुद यह महापंचायत करा रहे हैं। कोई महापंचायत तय कर देता है और उनमें हमें बुलाता है तो वहां जाना जरूरी है। इन महापंचायतों से सरकार को पता चल रहा है कि किस तरह से किसान इन कृषि कानूनों के विरोध में खड़े हैं। जहां भी महापंचायत होती है, हम वहां जाएंगे।
राकेश टिकैत, प्रवक्ता, भाकियू