जन्म प्रमाणपत्र में नाम बदलवाने की एवज में नौ हजार रुपये मांगने वाले दो कर्मचारियों को स्वास्थ्य निदेशालय ने सस्पेंड कर दिया है। आरोपित गोदनामा बनवाने के बाद अपना नाम दर्ज करवा रहा था। नागरिक अस्पताल की जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र शाखा में सांख्यिकी सहायक व क्लर्क ने वर्ष 2019 में रिश्वत मांगी थी।
पीडि़त की शिकायत पर स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने छापा मारा था, लेकिन आरोपित रिश्वत के रुपये फेंककर भाग गए थे। पानीपत के गांव किवाना के बलजीत ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को शिकायत देकर बताया था कि वह श्रमिक है। उसके भाई प्रदीप ने उसके जीजा गढ़ी झंझारा के विजय ने उसकी बेटी को गोद लिया है। उन्होंने 16 सितंबर, 2019 को गोदनामे की फाइल तैयार करवाकर उसने नागरिक अस्पताल के जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र कक्ष में जमा करवाई थी। जन्म प्रमाणपत्र में माता-पिता के नाम बदलवाने थे।
इस कार्यालय में लगातार चक्कर लगाने के बावजूद उसका काम नहीं हुआ। फाइल पूरी करने की एवज में क्लर्क नरेश ने चार हजार और सांख्यिकी सहायक प्रदीप राणा ने पांच हजार रुपये मांगे। उन्होंने कहा था कि जब तक पैसे नहीं मिलेंगे, फाइल को मंजूर नहीं होने देंगे। पीडि़त ने रिश्वत मांगने संबंधी उनकी काल रिकार्ड कर ली थी। इसी शिकायत के आधार पर विजिलेंस ब्यूरो ने नागरिक अस्पताल में छापामारा था लेकिन आरोपित रुपये फेंककर फरार हो गए थे। विजिलेंस ने केस दर्ज कर लिया था। बाद में मामले की जांच के दौरान प्रदीप राणा का तबादला गन्नौर सीएचसी में कर दिया और नरेश का नागरिक अस्पताल की मलेरिया शाखा में। अब सोमवार को पंचकूला में स्वास्थ्य महानिदेशक के आदेश पर दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है।
उल्टा उसे ही फंसाने का किया था प्रयास
बलजीत ने बताया कि एक पुलिस अधिकारी ने उसकी शिकायत पर कार्रवाई करने की बजाय उसे ही फंसाने का प्रयास किया था और उसके खिलाफ मामला भी दर्ज करवाया गया, लेकिन उसने हार नहीं मानी। अब दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है तो उनकी मांग है कि दोनों को जल्द गिरफ्तार किया जाए।
जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र शाखा में वर्ष 2019 में गोदनामे के आधार पर जन्म प्रमाणपत्र बनाने के नाम पर रिश्वत मांगने का मामला सामने आया था। इसके बाद संबंधित कर्मचारियों का तबादला कर दिया गया था। इस मामले में जांच के बाद सोमवार को स्वास्थ्य महानिदेशक ने दोनों कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया है।