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Hanuman Janmotsav 2023: हनुमान जन्मोत्सव आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और हनुमान जी की आरती

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Hanuman Janmotsav 2023 : आज हनुमान जयंती है। उत्तर भारत में चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाता है जबकि दक्षिण भारत में हनुमान जयंती कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इसके अलावा ओडिशा में हनुमान जयंती वैशाख महीने की प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है। इस बार हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की पूजा के लिए चार मुहूर्त और पांच बड़े योग हैं। भगवान हनुमान जी की पूजा के लिए गुरुवार, 6 अप्रैल 2023 को सुबह से रात तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। आज हनुमान जन्मोत्सव पर पांच तरह के शुभ योग का निर्माण हुआ है। जिसमें गजकेसरी, हंस, शंख, विमल और सत्कीर्ति नाम के पांच राजयोग है।

बड़े-बड़े पर्वत उठाने वाले, समुद्र लांघ जाने वाले और स्वयं ईश्वर का कार्य संवारने वाले संकटमोचन हनुमान का अवतरण चैत्र माह में पूर्णिमा तिथि को हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद हनुमान जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व विश्वभर में हनुमत भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से महाबली हनुमान की पूजा अर्चना करने से सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। हनुमानजी को संकट मोचन कहा जाता है। इनके पथ पर चलने वालों को कोई भी संकट नहीं मिलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं हनुमान जन्मोत्सव यानी हनुमान जयंती की तिथि, पूजा विधि और महत्व…

हनुमान जयंती 2023 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 5 अप्रैल सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 6 अप्रैल की सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार हनुमान जयंती 06 अप्रैल 2023, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। 

हनुमान जन्मोत्सव पूजा मुहूर्त

चैत्र पूर्णिमा तिथि आरंभ- 05 अप्रैल से सुबह 09: 19 मिनट पर
चैत्र पूर्णिमा तिथि समापन- 06 अप्रैल से सुबह 10:04 मिनट पर

सुबह- 6: 06 से 7: 40 मिनट तक
दोपहर- 12: 24 से 01: 58 मिनट तक
शाम- 5: 07 से 8:07 मिनट तक

हनुमान जन्मोत्सव का महत्व
हनुमान जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से बजरंगबली की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे हनुमान जी की पूजा करते समय भगवान राम का पूजन अवश्य करें, क्योंकि प्रभु श्री राम की पूजा के बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

हनुमान जन्मोत्सव पूजा विधि 

  • हनुमान जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें। 
  • अब बजरंगबली की मूर्ति या प्रतिमा को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें, जिसपर पहले से ही पीले रंग का वस्त्र बिछा हुआ हो। 
  • बजरंगबली के समक्ष घी का दीया जलाएं।
  • जल छिड़कर कच्चा दूध, दही, घी और शहद मिलाकर बजरंगबली का अभिषेक करें। 
  • बजरंगबली को लाल या पीले रंग का कपड़ा, कलावा, फूल, धूप, अगरबत्ती और दीया आदि अर्पित करें। 
  • इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ कर भक्त पूजा संपन्न कर आशीर्वाद पाने की कामना करें। 
  • इस दिन हनुमान भक्तों को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदर कांड और रामायण का पाठ करना चाहिए। 

हनुमान मंत्र 

  • ऊँ हनुमते नमः 
  • ॐ ऐं भ्रीम हनुमते, श्री राम दूताय नमः 
  • ॐ आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात 
  • ॐ रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात 
  • ॐ अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि तन्नो: मारुति: प्रचोदयात 

हनुमान जी की आरती 
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।

अंजनि पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुधि लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका जारि असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।आनि संजीवन प्राण उबारे।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठी पाताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे।।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संत जन तारे।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें। जय जय जय हनुमान उचारें।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
जो हनुमानजी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।।

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

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