महिला खिलाड़ियों को न्याय दिलाने के लिए अब खापों और संगठनों को एक मंच पर लाया जाएगा। इसके लिए खुद खिलाड़ी पंचायत बुलाएंगे, जिसकी जगह और तिथि तीन-चार दिन में निश्चित की जाएगी। पंचायत में सब खापों और संगठनों के प्रतिनिधियों बुलाकर उनकी सलाह पर निर्णायक लड़ाई लड़ने का फैसला किया जाएगा। रविवार को यह बात पहलवान बजरंग पूनिया ने गांव मुंडलाना में पंचायत में कही। बजरंग के आग्रह पर पंचायत में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया।
भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) द्वारा खिलाड़ियों और पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के समर्थन में पंचायत की गई। उम्मीद थी कि पंचायत में खिलाड़ियों के समर्थन में कोई बड़ा निर्णय लिया जाएगा। पहलवान बजरंग पूनिया ने यहां कहा कि खापें और संगठन अब तक अलग-अलग पंचायतें कर रहे हैं, इस तरह से मजबूती से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती। उन्होंने अनुरोध किया जब तक खिलाड़ी कुछ न कहें तब तक कोई फैसला न लिया जाए।
उन्होंने कहा कि खिलाड़ी पंचायत करेंगे जिसमें सभी खापों और संगठनों की बुलाएंगे। उधर, किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान सोच कर आए थे कि जिस तरह से दिल्ली में हमारी बेटियों को घसीटा गया उसी तरह से भाजपा नेताओं को गांव में नहीं घुसने देंगे और अगर कोई आएगा तो उसे घसीट कर बाहर निकाल देंगे। उन्होंने कहा कि बजरंग के आग्रह पर कोई फैसला नहीं लिया। अब खिलाड़ी जो कहेंगे उसके अनुसार लड़ाई लड़ेंगे।
निहंगों ने दिया पहलवानों को समर्थन
महापंचायत में निहंगों ने भी पहलवानों के समर्थन का एलान किया। निहंग बाबा अमन सिंह ने कहा कि पहलवानों को न्याय नहीं मिला तो हम घोड़े, फौज और शस्त्र लेकर आएंगे। महापंचायत में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर, उत्तर प्रदेश से विधायक गुलाब अहमद, प्रदीप चौधरी, प्रसन्न चौधरी भी पहुंचें।
‘विनेश और साक्षी में हिम्मत नहीं बची’
पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा कि 28 मई को दिल्ली और उसके बाद हरिद्वार में जो हुआ उसके बाद साक्षी मलिक और विनेश फौगाट टूट चुकी हैं। वे पंचायत में इसलिए नहीं आई कि अब उनमें हिम्मत नहीं बची है। वे घर पर हैं और कोई गलत फैसला न कर लें, इसके लिए परिवार का एक सदस्य हमेशा उनके साथ रहता है।